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खिला खिला के पिज़ा छत पर दबोचे जीजा

अचानक पीछे से जीजा जी ने मुझे पकड़ कर दबोच लिया और मुझे चूसने लगे। मेरा नाम रवीना है और ये है मेरी चुदाई की कहानी। मैं 22 साल की हूँ और मुझे बाहर का खाना पीना काफी पसंद है। मेरी इस कमजोरी का फयदा उठा और जीजा जी ने मेरी चुत तक का रास्ता खोज लिया।

ये सब मेरे साथ तब हुआ जब कोरोना काल आया और भारत में लॉकडाउन लग गया। इसलिए मेरी कहानी का नाम है “खिला खिला के पिज़ा छत पर दबोचे जीजा” उम्मीद करती हूँ आपको पसंद आएगी।

मैं अपनी दीदी के घर उनसे मिलने आई हुई थी की तभी लॉकडाउन लग गया और मैं वही फस गई। पर जीजा जी ने मेरा  से ख्याल रखा और मैं अपनी दीदी के साथ भी कुछ ज्यादा समय रह सकीय।

अब क्यों की लॉकडाउन था तो मुझे घर का सादा खाना खाना पड़ा और बाहर का कुछ भी नहीं। धीरे धीरे मैं परेशां होने लगी तो जीजा जी ने अपने किसी दोस्त से बाहर के खाने का जुगाड़ करवाया।

उनका दोस्त किसी पिज़ा वाली दुकान का मालिक था जहा से उन्होंने मेरे लिए काफी सारे पिजा मंगाए और मैं खा खा कर मोटी हो गई।

कई कई दिन ऐसा ही चला। दीदी घर का काम कर रही होती और जीजू मुझे अलग अलग तरह का खाना खिला रहे होते।

पहले तो मुझे पता नहीं लगा की इतना प्यार को किया जा रहा है मुझे। कुछ दिन बाद जब जीजू मुझे चुदाई की हवसी नजर से देखने लगे तब मुझे पता लगा।

उनकी नजर मेरी कोमल छाती और बड़ी गांड पर ही रहती थी जो बाहर का खा खा कर और बड़ी हो रही थी।

एक रात जब खाना खाकर मैं छत पर गई तो जीजू भी मेरे पीछे पीछे आ गए। उस वक्त दीदी नीचे बर्तन धो रही थी और हम दोनों ऊपर अकेले थे।

मैं अपने फ़ोन में गाने सुन रही थी और तभी जीजा जी ने मुझे पीछे से दबोच लिया और मेरी गर्दन पर चूमने लगे।

मैं बोली – अहह !! जीजू क्या कर रहे है आप !!

जीजा – तेरी खातिरदारी कर रहा हूँ।

उसके बाद जीजू ने छत पर जल रहा बलफ बंद कर दिया और अँधेरे में मेरी कोमल छाती को दबाने लगे।

जैसे ही जीजू ने मेरी गर्दन पर हाथ लगाया मैं तो नल की तरह चुत से अपनी छोड़ने लगी।

मैं आंखे बंद कर के रोमांटिक गाने सुनते हुए जीजू के हाथ अपने स्तनों पर महसूस करने लगी।

उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे स्वेटर में घुसाए और मेरे दोनों स्तनों को अपने हाथो में लेने लगे।

उसके  गर्दन घुमाई और जीजू के होठो को चूमने लगी। सब कुछ रोमांटिक था  उन्होंने मेरी जीन्स का बटन खोला और कच्छी में हाथ डालकर मुझे रगड़ना शुरू किया तब तो मैं पागल ही हो गई।

जीजू अपना खड़ा लोढ़ा निकाल कर पीछे से मेरे स्वेटर में घुसा दिए। उनका गर्म लोडा मेरी ठंडी कमर पर रगड़ खाने लगा तो मैं और कामुक और हॉट महसूस करने लगी।

इस तरह खिला खिला के पिज़ा छत पर दबोचा जीजा मैंने अपनी कहानी का नाम रखा।

जीजू इसी तरह अपना हाथ मेरी गन्दी चुत पर रगड़ते रहे और उनका लंड मेरी कमर पर लगता रहा। उनके लंड से निकलता पानी मेरी कमर को गिला करने लगा।

थोड़ी देर बाद मैं नीचे बैठी और बाल खोल कर उनका लंड अपने मुँह में लेने लगी और उसे चूस चूस कर लाल करने लगी।

उसके बाद जब मेरा लंड लेने का दिल करने लगा तो मैं छत के कोने में अपनी जीन्स आधी उतार कर झुक गई और जीजू को ललचाने लगी।

जीजू ने अपना लंड पकड़ा और भाग कर मेरी तरफ आने लगे। मैंने अपने दोनों हाथ पीछे किये और चुत को फैला कर उन्हें देखने लगी। जीजू लंड पकड़ कर भाग कर आए और सीधा  लंड दे मारा।

अचानक चुत में पहली बार लंड घुस जाने की वजह से मैं चीला पड़ी और अच्छी बात ये है की किसी को सुनाई नहीं दिया।

जीजू मेरी कमर पकड़ कर मेरी गांड में जोर जोर से लंड रगड़ने लगे और मुझे चोदते रहे। लंड चुत की रगड़ से घापा घप की आवाज आने लगी जो काफी गन्दी और अश्लील थी। उस आवाज को सुनकर मैं और सेक्सी हो गई और अपने स्तनों को नोचने लगी।

जीजू बार बार अपने हाथो से मेरे चूतड़ों को दबाते तो कभी गांड में उनलगी करते। उनका लंड थूकने को तैयार ही नहीं था। उनकी गोटिया बार बार मेरी चुत पर चाटे लगाती रही और लंड अंदर बाहर होता रहा और मेरी चुत से गन्दा पानी निकालता रहा।

इस सबके बीच मेरी बहन नीचे बर्तन थो रही थी और हम दोनों एक दूसरे के लिंग को। चुत में लंड रगड़ रगड़ कर जीजू ने अपने लिंग को चिकना कर दिया और मेरी चुत में जमा गन्दा सफ़ेद पानी बाहर निकलने लगा।

जीजू की गोटिया भी मेरे माल से तरबतर होने लगी और हम दोनों की जांघो से पानी रिस्ता हुआ नीचे जांगे लगा।

जीजू का पथर सा लंड और ऊपर से मेरी नरम सी चुत का आपस में रगड़ना ही मेरे शरीर पर रोंगटे खड़े करने के लिए काफी था पर जब ठंडी हवा चलने लगी तो मेरी आधी नंगी टांगे भी कापने लगी।

देखते ही देखते जीजू भी झंडे वाले थे। वह तेज तेज सासे सासे लेने लगे। उसके बाद उन्होंने मुझे अपनी तरफ मुँह करवा कर खड़ा किया और मेरी एक टांग को उठा कर मेरी चुत में अपना लिंग दे दिया।

उसके  बाद मैं उनके गले लगी और अपनी नरम छाती को उनकी कठोर छाती पर चिपका कर एक टांग पर खड़ी होकर लंड लेने लगी।

जीजू मेरे होठो को चूसने लगे और कभी कभी मैं उनकी जुबान चुस्ती तो कभी वो। जीजू कमर हिला हिला कर मेरी चुत लंड मोटा लिंग रगड़ते रहे और बस अचानक उन्होंने 2 जोरदार झटके दिए और अपना लिंग बाहर निकाल कर हवा में लटका दिया।

उसके बाद उनके लिंग से गर्म गर्म सफ़ेद गाढ़ा पानी निकल कर मेरी जांग पर गीर गया। जीजू ने अपना गंदा पानी मेरी जांघ पर निकाल दिया और उसके बाद मैं भी थक कर नंगी ही छत की ठंडी जमीं पर बैठ गई।

जीजू ने अपना पजामा पहना और मुझे खड़ा कर के गले से लगा लिया और मेरे कान में कहा “दीदी को मत बताइयो !”

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