चलती गाड़ी में चुदाई Part – 1
मैंने चलती गाड़ी में अपने पड़ोसी की बीबी को चोद डाला। और मजे की बात तो ये थी की उसका पति गाड़ी चला रहा था। दोस्तों मेरा नाम केशव है और आज मैं आप लोगो को एक मस्त चलती गाड़ी में चुदाई की हॉट कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
दोस्ती आज से कुछ साल पहले मैं और मेरे पडोसी मुंबई घूमने गए थे। हमर पटना के रहने वाले थे और मेरे घर वालो की पड़ोसियों से काफी बनती थी।
तो मेरे पापा और मेरी पड़ोसन रिंकी के पापा ने साथ मिलकर मुंबई जाने का फैसला किया। सब कुछ ठीक चल रहा था। मुझे रिंकी काफी पसंद थी उसके स्तन बड़े थे और गांड भी अच्छी खासी बड़ी थी। उसका चर्बी वाला सेक्सी शरीर मुझे काफी पसंद था। पर वो मुझे कोई भाव नहीं देती थी और कभी कभी तो वो मुझे भाई भी बोल देती थी।
मुझे ये बिलकुल पसंद नहीं था पर फिर भी मैं मौका देख उसपर कभी कभी लाइन मार देता था। इसी तरह हम सब एक साथ घूमने निकले।
जब हमने मुंबई घूमने के लिए दो गाड़िया किराए पर ली तब मेरी अन्तर्वासना कहानी शुरू हुई। हम करीब 5 दिन तक मुंबई में रहे और हमने काफी मजा किया। आखरी दिन हम जब्र घूमने निकले हमने मुंबई के अलग अलग होटलो में खाना खाया उसके बाद करीब शाम के 4 बजे वापस अपने होटल में जाने लगे जहा से हमे अगले दिन वापस घर जाना था।
वापस होटल जाते हुए मैं अपने पापा के साथ था और रिंकी के पापा गाड़ी चला रहे थे। रिंकी की तबियत खराब थी और मेरी मम्मी की कमर में दर्द था इसलिए वो दोनों पहले ही होटल चले गए थे।
घर वापस जाते हुए मैं और रिंकी की मम्मी पीछे साथ में बैठे थे। और मुंबई के नजारो को पूरा आनंद ले रहे थे। दोस्तों मुंबई में काफी सेक्सी लड़किया रहती है। वहा की लड़किया छोटे कपड़े पहने में कोई शर्म नहीं करती खास कर समंदर किनारे जो अंग्रेज लड़किया होती है उनकी तो बात ही कुछ और है।
लड़किया देख गाड़ी में मेरा लिंग खड़ा हो गया और रिंकी की मम्मी को पता लग गया की मैं क्या सोच रहा हूँ पर उन्होंने एक गलती कर दी।
मेरा खड़ा लिंग देख उन्हें लगा की मैं उन्ही गन्दी नजरो से देख रहा हूँ पर ऐसा नहीं था मैं तो बाहर देख रहा था।
आंटी मेरे साथ में बैठी मुस्कुराने लगी और मैं ये सब समज नहीं पाया। मैंने अपने लिंग के ऊपर बैग रखा और उसे छुपा लिया।
पर दोस्तों मुंबई की लड़किया इतनी सेक्सी थी की मैं रुक नहीं पाया मेरे लिंग से पानी टपकने लगा और आंटी को मेरे कामुक होने का पता था। साथ बैठी आंटी मेरे बारे में गन्दा सोचने लगी जिस कारण उनकी चुत भी गीली हो गई।
रिंकी की मम्मी से जब रहा नहीं गया तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे देख कर हसने लगी। मैं उस पल कुछ समझा नहीं और आंटी को इस से पहले कुछ बोलता उन्होंने मेरा बैग हटाया और मेरे लिंग को जीन्स के ऊपर से सहलाने लगी।
उसी वक्त मैं डर गया क्यों की पापा और आंटी के पति सामने ही बैठे थे। पर अच्छी बात ये थी की गाड़ी के आगे लगा शीशा टुटा हुआ था तो वो पीछे नहीं देख सकते थे।
आंटी ने पहले तो मेरा लिंग सहलाया और उसके बाद अपने बड़े बड़े नाखून वाले हाथो को मेरे कच्छे के अंदर डाल दिया।
मैं समज नहीं पाया की क्या करू कैसे करू। आंटी ने एक हाथ अपने ब्लाउज में डाला और खुद की मोटी और खड़ी चूचिया दबाने लगी।
अब जब मुझे मौका मिला तो मैं भी आंटी के सहरीर के साथ खिलवाड़ करने लगा। आंटी रिंकी से भी ज्यादा हॉट थी। उनके गोल गोल मोटे ठन थे, सेक्सी कमर थी उसके साथ साथ गांड का तो पूछो मत। आंटी जब साड़ी में मटक कर चलती है तो दोस्तों हर मर्द की नजर उनके चूतड़ों पर ही होती है।
उसके बाद मैंने अपना पूरा लिंग बाहर निकाला और आंटी ने धीरे से अपनी चुडिया निकाल कर बगल में रख दी।
उसके बाद वो अलग अलग तरह से मेरा गर्म लिंग पकड़ कर हिलाने लगी और मैं उनके ब्लाउज में अपना एक हाथ डाल कर उसके बड़े बड़े थानों का मजा लेने लगा।
देखते ही देखते आंटी सरक कर मुझ से चिपक कर बैठ गई और मेरे हथो को चूमने के लिए आगे बड़ी पर मैंने उन्हें रोक दिया ताकि अंकल को पता न लग जाए।
हम इसी तरह एक दूसरे के शरीर को छूते रहे और कामुक होते रहे तभी होटल आ गया।
आंटी ने अपने ब्लाउज से मेरा हाथ निकाला और मुझ से दूर हॉटके बैठ गई मैंने भी जल्दी से अपना लंड जीन्स में डाला और उसे छुपा पर बैठ गया।
होटल आते ही जब हम लोग अपने कमरे में गए तो आंटी चीला कर बोली।
आंटी – ओह माय गॉड रिंकी के पापा मैं अपना फ़ोन तो वही भूल गई जहा हमे खाना खाया था !!
रिंकी के पापा (घुसे में) – क्या !! 20 बजार का फ़ोन तू ऐसे ही छोड़ आई !!
आंटी – हाँ हाँ फ़ोन ही तो है मैं खुद लेकर आ जाऊगी तुम जाओ आराम करो !!
अंकल – गाड़ी चलनी आती है जो जा रही हो मैडम !!
आंटी – केशव को आती है वो चलेगा मेरे साथ।
उसके बाद आंटी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे खींचते हुए वापस गाड़ी की तरफ ले गई।
अंदर बैठ कर मैंने गाड़ी चलाई और वापस उसी होटल में लेजाने लगा।
इतने में आंटी ने कहा बीटा कहा जा रहे हो मैंने झूठ बोलै था।
मैंने कहा – पर क्यों क्या हुआ !!
आंटी – झूठ इसलिए बोला ताकि मैं तुम्हारा लिंग पकड़ साकू।
ये बोलते ही उन्होंने मेरा लिंग पकड़ा और चलती गाड़ी में उसे हिलाने लगी।
इस तरह मेरी चलती गाड़ी में चुदाई शुरू ही। मैं गाड़ी चलते हुए मुंबई के खाली सड़को पर चला गया और आंटी नीचे झुक कर मेरा लंड चूसने लगी।
आंटी का गर्म थूक से भरा मुँह किसी चुत से कम नहीं था। उनकी जुबान बार बार मेरे लिंग को चाट रही थी और दोनों होठ टोपे को चूस रहे थे।
दोस्तों ये थी मेरी चलती गाड़ी में चुदाई का पहला भाग अगर आगे की कहानी पढ़नी है तो यहाँ क्लिक करे। (चलती गाड़ी में चुदाई Part – 2)