समाज क्या कहेगा?: मजबूर औरत पर आधारित वासना कथा 😔 भाग 1
मेरा नाम गुड्डी है और मैं बिहार की रहने वाली एक 26 साल की लड़की हूँ। मेरी उम्र शादी करने की नहीं थी पर फिर भी मुझे करनी पड़ी जिसकी वजह आप इस कहानी में जानेगे। इस कहानी का नाम मैंने समाज क्या कहेगा इसलिए रखा क्यों की ये सब समाज की सोच के कारण हुआ। मेरे माता पिता को अपनी इज्जत मुझ से ज्यादा प्यारी थी जिस कारण मुझे अपने पढ़ लिख कर कुछ बड़ा करने का सपना छोड़ना पड़ा।
मुझे पता है की ज्यादातर लोग इस कहानी से कामुक आनंद भी लेना चाहते है इसलिए मैं आपको पहले ही बता दू की आपको इस अन्तर्वासना कहानी को पढ़कर पूरा आनंद आएगा।
आज के दिन जब मैं ये कहानी लिख रही हूँ तब मेरी उम्र 26 साल है पर ये सब तब हुआ जब मेरी उम्र सिर्फ 24 साल थी। मैं उस उम्र में स्कूल पूरा कर चुकी थी और आगे की पढाई के लिए अपनी पूरी तैयार कर रही थी।
मैंने IAS बने का सोचा था पर मेरे परिवार ने मुझे पढाई के लिए कभी सहायता नहीं की। हमारे गांव में भी पढाई के लिए ज्यादा सुविधा भी नहीं थी। पर किस्मत से मुझे अपने ही गांव में एक भले इंसान मिले जिनका नाम रविकिसन था। रवि हमारे गांव में सबसे ज्यादा पढ़े लिखें मर्दो में से एक थे जिन्होंने मुझे पढाई को लेकर सही रास्ता दिखाया।
वो गांव में कोई टूशन नहीं बढ़ाते थे पर जब उन्हें मेरे संघर्षो के बारे में पता लगा तो वो खुद ही मेरी मदद करने के लिए आगे बड़े। वो कम पैसे में मुझे पढ़ने लगे और मैं अपने जीवन में एक कामयाब औरत बने के लिए निकल पड़ी।
रवि जी की उम्र करीब 55 साल होगी। वो दिखने में कुछ अच्छे तो थे नहीं। काली त्वचा, बड़ा हुआ पेट, सर पर कोई बाल नहीं और साथ ही साथ उनकी बीवी किसी और मर्द के साथ 3 साल पहले ही भाग चुकी थी।
इस सब के बावजूद भी मुझे उनसे कोई परेशनी नहीं थी उनका स्वबहग काफी नरम और अच्छा था। पढ़ाने के तरीके में भी कोई कमी नहीं थी।
पराए मर्द के घर आना जाना
मैं हर दिन 4 बजे जाती और करीब 6 बजे घर वापस आ जाती।
पीछे 2 महीनो से ऐसे ही चलता रहा। सब कुछ ठीक था पर मेरी माँ और पिता को मेरा किसी पराए मर्द के घर रोज रोज जाना पसंद नहीं था। ऊपर से उन्हें मुझ पर शक भी होने लगा की कही मैं पढ़ने के बहाने उनके साथ कुछ और तो नहीं कर रही। साथ ही साथ उनके दिमाग में ये भी था की पढ़ने बहाने मैं किसी और लड़के से मिलने तो नहीं जा रही।
इन सब सवालों के जवाब देते देते मुझे शर्म आ रही थी पर मेरे माता पिता को मिलकुल भी नहीं। धीरे धीरे घर का माहौल इस वजह से खराब होने लगा और मेरी शादी की बात घर में चालू हो गई।
पर किसी तरह लड़ झगड़ कर मैंने शादी के लिए इंकार कर दिया। बदले में मेरे पिता जी ने मेरे बड़े भाई को मेरे पीछे लगा दिया।
अब हुआ क्या वो मुझे रवि जी के घर छोड़ने और लेने जाने लगा। बस इसी तरह 1 महीना और निकल गया और मैं पढाई मन लगा कर करने लगी।
पर जल्द ही सब कुछ वापस खराब होने लगा। गांव के लोग मेरे बारे में उल्टा सुथा बोलने लगे। लड़को से लेकर लड़किया भी मेरे बारे में गलत बाते बोलने लगी।
किसी औरत ने कहा “ये जरूर मास्टर के साथ कुछ करती होगी तभी इसकी छाती भर गई है !!” तो किसी लड़के ने कहा “इसका भाई तो रोज अपनी ही बहन को बेचने जाता है !!”
अब वो उम्र ही ऐसी थी की शरीर का हर एक अंग बड़ा हो रहा था। आते जाते लोग मेरा शरोर अपनी गन्दी निगाहो से घूरते। कोई पीछे से मेरा पिछवाड़ा देखता तो कोई सामने से ही मेरी छाती को।
कभी कभी मुझे अच्छा लगता की गांव के सभी लोग मुझे पाना चाहते है पर कभी कभी तो लोगो की गन्दी नजरो और सोच से डर लगता।
दोस्तों ये मेरी हॉट कहानी का पहला भाग है अगर आपको पसंद आया तो मुझे मेल करना और साथ ही साथ इस कहानी को अपने दोस्तों को जरूर दिखाना। अगले भाग के लिए थोड़ा इंतजार करे।
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